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लेखनी कविता प्रतियोगिता -भींगी पलकें -27-Jan-2023

😭😭भीगी पलकें😭😭

👀👀👀👀👀👁️👁️👁️👁️👁️

यों रोज सपनों में आना
कोई इतफाक तो नहीं
नींद में यू अनायास मीठे सपने 
दिखाना और बैचेन करना

किसने प्यार कि झंकार बजाई
क्यों मुझे बैचेन कर गई
यूं अनायास मुस्कान बिखेरना
जीवन कि खुशी को क्षणिक झंकृत करना

किसने अधिकार दिया यो तड़पाने का
शायद पुराना मिलन अधूरा है
ईश्वर ने सजा जो मुकर्रर कि हैं
नींद में पलकों का भीगना
इस जन्म में पाना हैं,
गनीमत है यह दुखद मिलन
केवल सपनों तक सीमित हैं
शायद सुखद मिलन कि अभिलाषा सपना हैं 
शायद इस जन्म में पलकों का भीगना ही नियति हैं।

✍️ विजय पोखरणा "यस"
अजमेर 

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8 Comments

Mahendra Bhatt

28-Jan-2023 10:50 AM

शानदार

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VIJAY POKHARNA "यस"

28-Jan-2023 05:25 PM

धन्यवाद

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Punam verma

28-Jan-2023 08:59 AM

Very nice

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VIJAY POKHARNA "यस"

28-Jan-2023 05:24 PM

धन्यवाद

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Abhinav ji

28-Jan-2023 07:54 AM

Very nice 👌

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VIJAY POKHARNA "यस"

28-Jan-2023 05:24 PM

धन्यवाद

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